संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के उच्चायुक्त ने भारत को दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है तथा यह कानून बनाने वाली भारतीय संसद के संप्रभुता के अधिकार से संबंधित है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जिनेवा में हमारे स्थायी दूतावास को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैश्लेट ने सूचित किया कि उनके कार्यालय ने सीएए 2019 के संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है.
यूएनएचआरसी के इस कदम पर भारत की ओर से सख्त आपत्ति जताई गई है. इस मामले पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि ‘यह भारत का पूरी तरह से आंतरिक मामला है. किसी विदेशी पक्ष को भारत की संप्रभुता से जुड़े विषयों पर अदालत में जाने का अधिकार नहीं है.
यूएनएचआरसी ने अपने आवेदन में क्या कहा?
यूएनएचआरसी ने अपने आवेदन में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ‘सीएए’ की आलोचना करती है. यूएनएचआरसी के अनुसार, सीएए मुस्लिम प्रवासियों को जोखिम में डालता है. इसमें यह भी कहा गया है कि, सीएए के औचित्य और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं. यूएनएचआरसी द्वारा दाखिल 12 पन्ने के आवेदन में कहा गया है कि सीएए भारत के व्यापक मानवाधिकार दायित्वों तथा अंतरराष्ट्रीय के वचनों के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है.
भारत सरकार ने अपने बयान में क्या कहा?
भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) भारत के संविधान की सभी मूल्यांकन को पूरा करता है. मानवाधिकार को लेकर देश के द्वारा किए गए सालों पहले किए गए बंटवारे के दौरान के वादे को पूरा करता है.
विदेश मंत्रालय ने साफ-साफ कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो कानून के आधार पर चलता है. भारत में कानूनी व्यवस्था पर पूरा विश्वास है और हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट में हमारा पक्ष स्पष्ट हो जाएगा.
भारत में भी नागरिकता संशोधन अधिनियम के मसले पर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं. सुप्रीम कोर्ट अभी इस मसले पर सुनवाई कर रही है. हालांकि, विदेश मंत्रालय अपने प्रत्येक बयान में कह चुका है कि ये भारत का आंतरिक मामला है तथा कोई बाहरी देश इस मामले में दखल ना दे.
नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 क्या है?
यह एक्ट नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करता है. इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वे एक तय समय के लिए भारत में रहा हो.
अधिनियम में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. यह अधिनियम अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है. नागरिकता संशोधन बिल 2019, तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) से आए 6 समुदायों के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है.
नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा ने 10 दिसम्बर 2019 को तथा राज्यसभा ने 11 दिसम्बर 2019 को परित कर दिया था. भारत के राष्ट्रपति ने 12 दिसम्बर को इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी और यह विधेयक एक अधिनियम बन गया.